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लेखनी प्रतियोगिता -18-Feb-2022

एक गिलास पानी (लघुकथा)


 उस सरकारी कार्यालय में लंबी लाइन लगी हुई थी। खिड़की पर जो क्लर्क बैठा हुआ थावह तल्ख़ मिजाज़ का था और सभी से तेज़ स्वर में बात कर रहा था। उस समय भी एक महिला को डांटते हुए वह कह रहा था, "आपको ज़रा भी पता नहीं चलतायह फॉर्म भर कर लायीं हैंकुछ भी सही नहीं। सरकार ने फॉर्म फ्री कर रखा है तो कुछ भी भर दोजेब का पैसा लगता तो दस लोगों से पूछ कर भरतीं आप।"

एक व्यक्ति पंक्ति में पीछे खड़ा काफी देर से यह देख रहा थावह पंक्ति से बाहर निकल करपीछे के रास्ते से उस क्लर्क के पास जाकर खड़ा हो गया और वहीँ रखे मटके से पानी का एक गिलास भरकर उस क्लर्क की तरफ बढ़ा दिया।

क्लर्क ने उस व्यक्ति की तरफ आँखें तरेर कर देखा और गर्दन उचका कर ‘क्या है?’ का इशारा किया। उस व्यक्ति ने कहा, "सर, काफी देर से आप बोल रहे हैंगला सूख गया होगापानी पी लीजिये।"

क्लर्क ने पानी का गिलास हाथ में ले लिया और उसकी तरफ ऐसे देखा जैसे किसी दूसरे ग्रह के प्राणी को देख लिया होऔर कहा, "जानते होमैं कडुवा सच बोलता हूँइसलिए सब नाराज़ रहते हैंचपरासी तक मुझे पानी नहीं पिलाता..."

वह व्यक्ति मुस्कुरा दिया और फिर पंक्ति में अपने स्थान पर जाकर खड़ा हो गया।

शाम को उस व्यक्ति के पास एक फ़ोन आयादूसरी तरफ वही क्लर्क थाउसने कहा, "भाईसाहबआपका नंबर आपके फॉर्म से लिया थाशुक्रिया अदा करने के लिये फ़ोन किया है। मेरी माँ और पत्नी में बिल्कुल नहीं बनतीआज भी जब मैं घर पहुंचा तो दोनों बहस कर रहीं थीलेकिन आपका गुरुमन्त्र काम आ गया।"

वह व्यक्ति चौंकाऔर कहा, "जीगुरुमंत्र?"

"जी हाँमैंने एक गिलास पानी अपनी माँ को दिया और दूसरा अपनी पत्नी को और यह कहा कि गला सूख रहा होगा पानी पी लो... बस तब से हम तीनों हँसते-खेलते बातें कर रहे हैं। अब भाईसाहबआज खाने पर आप हमारे घर आ जाइये।"

"जी! लेकिन खाने पर क्यों?"

क्लर्क ने भर्राये हुए स्वर में उत्तर दिया,
"जानना चाहता हूँ, एक गिलास पानी में इतना जादू है तो खाने में कितना होगा?"

- डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी

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8 Comments

Abhinav ji

19-Feb-2022 09:13 AM

Nice

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Shrishti pandey

19-Feb-2022 08:41 AM

Nice mam

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Punam verma

19-Feb-2022 08:05 AM

Very nice sir kintu shbd kat gye hain

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